By Santosh Salve
March 12, 2022
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उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित टिहरी बांध की वजह से तैयार हुई इस झील को टिहरी झील कहते हैं. स्वामी रामतीर्थ सागर बांध नाम से भी इस बांध को जाना जाता है.
टिहरी का बांध एकगंगा नदी और साथ ही उसकी सहयोगी नदियां भागीरथी तथा भिलंगना इन नदियों के संगम पर स्थित है. इन्हीं नदियों का पानी इस टिहरी झील में आता है.
इस झील के पर्यटन क्षेत्र को मेगा प्रोजेक्ट के अंतर्गत पर्यटन की दृष्टि से तैयार करने की योजना है. साथ ही इसमें एक बढ़िया सा बोटैनिकल गार्डन भी इस पर्यटन सर्किट से जोड़ा गया है.
उत्तराखंड में तैयार होने वाले इस बड़े प्रोजेक्ट के कारण यहां पर बहुत सारे पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी और कई सारी रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे.
झील के पास स्थित बोटैनिकल गार्डन में लगभग 250 से अधिक दुर्लभ जड़ी बूटियां एवं पेड़ पौधे पाए जाते हैं. यहां पर कई सारे ऐसे पेड़ पौधे हैं जो कहीं और नहीं मिलते.
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हाल ही में इसी इलाके में रहने वाले बाप और उनके दो बेटों ने इस बेहतरीन झील को तैरकर पार किया है. ऐसा कर उन्होंने टिहरी झील के इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया है.
झील के आसपास का परिसर हरी-भरी झाड़ियों एवं पेड़ पौधों से भरा हुआ होने की वजह से मन को अद्भुत शांति देने वाला प्रतीत होता है.
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अगर आप भी वॉटर स्पोर्ट्स और पानी में तैराकी करने का शौक रखते हैं तो आपको इस झील पर घूमने के लिए जरूर आना चाहिए.
टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित इस झील तक सड़क रास्ते से आना आसान है. यह स्थान हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून ऐसी बड़ी जगहों के साथ जुड़ा हुआ है.
अगर आप रेल मार्ग से यहां आना चाहते हैं तो ऋषिकेश रेलवे स्टेशन यहां से करीब है. इस रेलवे स्टेशन से लगभग 72 किलोमीटर की दूरी पर यह स्थान है.
अगर आप हवाई मार्ग से यहां आना चाहते हैं तो जौली ग्रांट हवाई अड्डा इस स्थान के पास मौजूद है. यहां से टिहरी झील का अंतर लगभग 86 किलोमीटर है.
इस बढ़िया टिहरी झील के क्षेत्र में घूमने आना पर्यटकों के लिए रोमांचकारी अनुभव होता है. आप भी अपने दोस्तों एवं परिवार के साथ यहां जरूर आएं.
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